Chhattisgarh

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डॉ. राम कुमार बेहार
     दसमत मंदिर, ओढ़ार गांव, दुर्ग जिला, छत्तीसगढ़     लोक संस्कृति व लोक साहित्य लोक अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण साधन होते हैं। छत्तीसगढ़ प्राँत, मुख्यतः अदिवासी व ग्रामीण पृष्ठभूमि वाला है ये दोनों तत्व लोक संस्कृति के संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण तत्व माने गए हैं। छत्तीसगढ़ प्राँत में अनेक जनजातियाँ हैं…
in Article
    देवार लोक गाथाओं पर पी.एच.डी. करने वाले श्री सोनऊ राम निर्मलकर से मुश्ताक ख़ान और राकेश तिवारी की बातचीत     मुश्ताक ख़ान (मु.ख़ा.)- आप अपने बारे में कुछ बताएँ। सोनऊ राम (सो.रा.)- सन् 1990 में उत्तर मध्यक्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, इलाहाबाद द्वारा आयोजित श्रृँखलाबद्ध कार्यक्रम में नारी कथा गायन को…
in Video
छत्तीसगढ़ अपनी खनिज संपदा एवं वन संपदा के साथ-साथ खानपान के लिये भी प्रसिद्ध है। किसी भी प्रान्त का खान-पान वहां की भौगोलिक स्थिति, जलवायु और वहां होने वाली फसलों पर निर्भर करता है। छत्तीसगढ़ एक वर्षा और वन बहुल प्रान्त है, यहाँ धान, हरी भाजी-सब्जियां और मछली का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है और यही…
in Module
  यहाँ रेखा देवार करमा त्यौहार के परिचय के बाद  ‘करम डार’ गीत प्रस्तुत कर रही हैं | यह विवरण पहले छत्तीसगढ़ी में तदुपरांत हिंदी में दिया गया है।    गुरूर ब्रम्हा गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वर: ...2 गुरूर साक्षत परब्रम्ह तस्मै श्री गुरूवे नम:     Chhattisgarhi (Hereafter, C): रेखा देवार-  ये हमर…
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    राकेश तिवारी- नमस्कार आज हमारे बीच देवार घुमंतू जाति के बहुत ही प्रसिद्ध कलाकार, जो छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं अपितु पूरे देश में अपना प्रदर्शन नृत्य का, गीत का कर चुकी हैं ऐसे होनहार कलाकार हमारे बीच है रेखा देवार जी। नमस्कार रेखा जी। रेखा देवार-  नमस्कार।     Chhattisgarhi (Hereafter, C)- राकेश…
in Interview
    दसमत कैना कथा - रेखा देवार की प्रस्तुति   (Chhattisgarhi, Hereafter C)- रेखा देवार- राजा भोज रिहिसे। ओकर सात झन बेटी रहिसे त सब झन ल पुछथे- बेटी हो काकर करम म खाथव, काकर करम म पिथव, काकर करम के लेथव नाव। त दसमत कइना ह कथे- ददा मैं अपन करम म खाथवं, अपन करम म पिथवं, अपन करम के लेथवं नाव। (Hindi…
in Video
B. D. Sahu
    लोककथाएँ लोक की सांस्कृतिक यात्रा की साक्षी होती हैं अतः इसमें आधुनिकता का समावेश भी होता है। सामाजिक-राजनीतिक बदलावों के कारण उत्पन्न परिस्थियाँ लोक में सहज स्वीकार्य होकर लोक साहित्य में अभिव्यक्त होने लगती हैं। इस प्रकार लोककथाएँ, लोक-जीवन के सर्वाधिक निकट होती हैं। लोक का ज्ञान अनुभव आधारित…
in Article
Rekha Devar   This module is part of series of modules on performing genres from Chhattisgarh. They seek to reflect the richness of oral epics and folklore traditions from this region, and the modes in which they are performed and recited. The focus is the documentation of the entire epic or tale  …
in Module
मुश्ताक खान
  विश्व के  लगभग सभी घुमक्कड़ बंजारा समुदायों में कपड़ों पर अनेक प्रकार की कशीदाकारी और अप्लीक काम की समृद्ध परम्पराएं हैं। भारत के गुजरात और राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहने वाली घुमक्कड़ जातियों में यह कला अत्यंत समृद्ध है। इन समुदायों की स्त्रियां सामान्य घरेलु सुई -धागे और रंग -बिरंगे…
in Article
मुश्ताक खान
हाट बाजार में बंजारा शिल्प की दुकान , जगदलपुर। २०१८    बंजारा समुदाय अपनी स्त्रियों के रंग बिरंगे वस्त्रों और चांदी के बने भारी –भरकम गहनों के लिए जाना जाता है। बंजारा स्त्रियां चमकीले लाल , नीले ,पीले कपड़ों पर मोटे सूती धागे से की गयी कशीदाकारी और शीशों के जड़ाव से सजे वस्त्र पहनना पसंद करतीं हैं।…
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