Chhattisgarh

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विजय सिंह दमाली
                                                          लोक पर्वों का सीधा संबंध कृषि और पर्यावरण से है। सरगुजा अँचल की जनजातियों का लोक जीवन मूल रुप से कृषि और वन पर आधारित है। कृषक समाज लोक पर्वों के माध्यम से अपने भावों को व्यक्त करता है। यहाँ के स्थानीय पर्व- करमा, छेरता, गंगा दशहरा, कठोरी,…
in Article
डॉ. भरत पटेल
    छत्तीसगढ़ की संपन्न लोक संस्कृति में अनेक लोकनृत्य प्रचलित हैं। इन्हीं प्रचलित लोकनृत्यों में से एक है ‘करमा’ लोकनृत्य। छत्तीसगढ़ के बिलासुपर, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगाँव, रायगढ़, सरगुजा, जशपुर तथा कोरिया, कवर्धा जैसे जिले में निवास करने वाली जनजातियों द्वारा करमा नृत्य किया जाता है।   जनजातियाँ…
in Article
सोनऊराम निर्मलकर
                        देवार मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में रहने वाली एक यायावर जाति है। इनकी उत्पत्ति एवं इतिहास के बारे में कुछ ठीक-ठाक ज्ञात नहीं है पर ये एक ग़रीब परन्तु कलाप्रेमी जाति के रूप में जाने जाते रहे हैं। ये मुख्यतः लोक गाथाओं का गायन करके एवं भीख माँगकर, एक जगह से दूसरी जगह घूमते हुए…
in Article
        मुश्ताक खान : तो आपका नाम क्या है? आप अपना नाम बताइये।  अनिता नायक : अनिता नायक।     मुश्ताक खान : और वो, आपके साथ कौन-कौन लोग हैं? अनिता नायक : सास...ये बेटा है। ससुर..।     मुश्ताक खान : क्या नाम है इन लोगों का? सोहन लाल : सोहन लाल     मुश्ताक खान : और आपका नाम क्या है? पूरा : पूरा।    …
in Interview
यह पुस्तक पुस्तक श्रृंखला का तीसरा हिस्सा है जो मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके क्षेत्र का योगदान प्रस्तुत करती है।   This book is the third part of the book series that introduces the freedom fighters of Madhya Pradesh and the contribution of their region in the…
in Library Artifacts
    संपादित पुस्तक व्यापक रूप से लोकप्रिय छत्तीसगढ़ी कथा दसमत कैना और राज्य भर में विभिन्न प्रस्तुतियों पर चर्चा करती है।   The edited book discusses the widely popular Chhattisgarhi tale Dasmat Kaina and its various renditions across the state. 
in Library Artifacts
करमा पर्व, मध्यवर्ती भारत की जनजातियों द्वारा मनाया जाने वाला सर्वाधिक प्रिय लोकपर्व है। यह पर्व भाद्रपद षुक्ल पक्ष की एकादषी को मनाया जाता है। वर्तमान समय में ,इस अवसर पर कथावाचन एवं नृत्य-गीतों का आयोजन होता है। इस पर्व के अवसर पर किया जाने वाला  नृत्य, करमा नृत्य एवं गीत करमा गीत  कहलाते हैं।…
in Module
स्वर्गिय ज्वालाराम देवर, छत्तीसगढ़ २०१८       देवार , छत्तीसगढ़ की एक घुमंतू जाति है जो वहां की जनप्रिय लोक कथाओं एवं लोकगीतों का गायन कर अपनी आजीविका कमाते रहे हैं।  यह जाति अब छत्तीसगढ़ के विभिन्न नगरों के तालाबों, नदियों या खुले मैदानों में अपने डेरे तानकर रहने लगी है। देवार अपना संबंध छत्तीसगढ़…
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