Chhattisgarh

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हरिहर वैष्णव
    जगार संभवतः ‘जागृति’ या ‘यज्ञ’ शब्द का अपभ्रंश है। यह एक ऐसा लोक महाकाव्य है जिसका पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण स्मृति आधारित है। इसकी विशेषता यह है कि इसका गायन केवल महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। जगार की प्रक्रिया में इसकी गायिकाएं, जिन्हें इस क्षेत्र में ‘गुरुमांय’ कहा जाता है, देवताओं का आह्वान…
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प्रो.आभा रूपेन्द्र पाल
छत्तीसगढ़ में गांधीवादी आन्दोलन और महिलाएँ भारत का स्वाधीनता आन्दोलन बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। महात्मा गांधी के भारत आगमन के पश्चात् राष्ट्रीय आन्दोलन ने एक नया मोड़ लिया और उनके नेतृत्व में होने वाले आन्दोलनों ने भारतीय समाज सुधारकों के सपनों को साकार किया। नारी उत्थान…
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मुश्ताक खान
बस्तर के पारम्परिक आहार   हम सभी मानते हैं कि किसी भी प्रान्त का खान -पान वहां की भौगोलिक स्थिति , जलवायु और वहां होने वाली फसलों पर निर्भर करता है। छत्तीसगढ़ एक वर्षा और वन बहुल प्रान्त है, यहाँ धान ,हरी भाजी -सब्जियां और मछली का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है और यही सामग्रियां यहाँ का मुख्य आहार…
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मुश्ताक खान
  गुरुमांय: वाचिक परम्परा की संवाहिकाएं   आमतौर पर पूजा अनुष्ठानों का संचालन एवं संबंधित कथागायन पुरुष पुजारियों एवं कथा वाचकों द्वारा संपन्न किया जाता है परन्तु महाराष्ट्र के वर्ली आदिवासियों , ओडिशा  और छत्तीसगढ़ के बस्तर के भतरा, परजा एवं हल्बा आदिवासियों के साथ-साथ अन्य गैर आदिवासी जातियों में…
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Book of Chhattisgarhi cuisines and recipes published by the Directorate, Culture and Archaeology, Chhattisgarh    This content has been published as part of a project commissioned by the Directorate of Culture and Archaeology, Government of Chhattisgarh, to document the cultural and natural…
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