Chhattisgarh

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  Rakesh Tiwari speaks to Rekha Jalkshatri, well-known Bharthari performing artist, about her life and the performing art traditions of Chhattisgarh. भरथरी लोक गाथा गायिका रेखा देवी जलक्षत्री से साक्षात्कार नमस्कार जोहार! छत्तीसगढ़ के लोककला के विविध रंग हे विविध रूप हे। इहाँ के नाच हे, इहाँ के गान…
in Interview
डॉ. अनिल कुमार भतपहरी
रासलीला ही छत्तीसगढ़ी जनमानस में रहस कहलाती है। सतनामियों में रहस की परंपरा आरंभ से रही है। सतनामी रहस का प्रलेखन इस मायने में महत्वपूर्ण है की यह एक विलुप्त होती अनुष्ठानिक कला है, जिसमें गायन, वादन, नृत्य संगीत के साथ मूर्तिकला का भी समावेश होता है।  मिट्टी से  बनी यह मूर्तियां समूचेअनुष्ठान के…
in Article
डॉ. अनिेल कुमार भतपहरी
सतनामी पंथी नृत्य   पंथी नृत्य सतनाम-पंथ का एक आध्यात्मिक और धार्मिक नृत्य होने के साथ-साथ एक अनुष्ठान भी है। यह एक सामूहिक अराधना है। यह वाह्य-स्वरूप में मनोरंजन एवं अन्तःस्वरूप में आध्यात्मिक साधना है। आरंभ में यह भावातिरेक में निमग्न भक्तजनों की आनंदोत्सव में झूमने और थिरकने की क्रिया रही है जो…
in Article
Gold, Ann Grodzins. 1993. A Carnival of Parting: The Tales of King Bharthari and King Gopi Chand as Sung and Told by Madhu Natisar Nath of Ghatiyali, Rajasthan. Berkeley: University of California Press.   Yogishvar, Balakram. N.d. Bhakt Gopichand Bharthari, Delhi: Agarwal Book Depot.   Gold, Ann…
in Bibliography
Team, Chhattisgarh Project
  This module is part of series of modules on performing genres from Chhattisgarh. They seek to reflect the richness of oral epics and folklore traditions from this region, and the modes in which they are performed and recited. The focus is the documentation of the entire epic or tale  known orally…
in Module
राकेश तिवारी
This video is based on the recitation of the Bharthari epic by the Chhattisgarhi artist Rekha Jalkshatri, who began performing the epic at the age of twelve, and has been performing this epic for over forty years, receiving accolades and recognition. An interview with the artist draws out the…
in Video
मुश्ताक खान
भारत के अनेक आदिवासी समुदायों में मृतक संस्कार बहुत ही विस्तृत और महत्वपूर्ण होते हैं। वे अपने मृतक पूर्वजों को सम्मानित करने एवं उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए उनके मृतक स्मृति स्तम्भ बनवाते हैं। यह मृतक स्तम्भ केवल सांसारिक स्मृति के लिए ही नहीं होते, बल्कि वे मृतक के परालौकिक जीवन में भी बड़ी…
in Article
मुश्ताक खान
बस्तर, छत्तीसगढ राज्य का एक महत्वपूर्ण आदिवासी सांस्कृतिक क्षेत्र है। अविभाजित बस्तर जिले का क्षेत्रफल केरल राज्य से भी अधिक था। खनिज संपदा एवं बीहड़ वनों से समृद्ध इस क्षेत्र में देश के कुछ सर्वधिक महत्वपूर्ण आदिम समूह निवास करते हैं। यहां के वनों में साल, सागौन और बीजा की लकड़ी बहुतायत में मिलती है…
in Overview
मुश्ताक खान
खाम्ब लकड़ी से बना एक मोटा एवं लम्बा खूंटा है। सामान्यतः आदिवासियों में और एक हद तक गैर-आदिवासियों में भी विभिन्न अवसरों पर खाम्ब स्थापित करने की प्रथा है। यह खाम्ब किसी वृक्ष के तने या शाख का अनगढ़ खूंटा हो सकता है अथवा सुव्यवस्थित नक्काशीदार हो सकता है । बस्तर के आदिवासियों में विभिन्न आयोजनों…
in Article
मुश्ताक खान
भारत में चलायमान देवस्थानों की परिकल्पना अति प्राचीन है।  लगभग सभी धर्मों में इनका महत्त्व और भूमिका है। ग्रामीण एवं आदिवासी समुदायों में इनके विभिन्न स्वरूप होते हैं। मिटटी, धातु, लकड़ी और कपड़े आदि अनेक माध्यमों से बने ये चलायमान देवस्थान, देवी-देवताओं के आवागमन का महत्वपूर्ण साधन रहे हैं। वर्ष भर…
in Article